क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र सरकार के 2025 के बजट में सामाजिक न्याय और आदिवासी विकास विभाग को 7,000 करोड़ रुपये की भारी कटौती झेलनी पड़ी है।
मंत्री संजय शिरसाट ने इस कटौती पर खुलकर नाराजगी जाहिर की है और सरकार को घेरा है।
कहां गया पैसा?
- लाडली बहन योजना – ₹4,000 करोड़
- प्रधानमंत्री आवास योजना – ₹1,500 करोड़
- ऊर्जा विभाग – ₹1,400 करोड़
इस कटौती से सबसे ज्यादा नुकसान दलित, आदिवासी और वंचित वर्गों के कल्याण कार्यों को हुआ है, जिससे सरकार के भीतर ही असंतोष बढ़ गया है।
संजय शिरसाट का गुस्सा—सरकार को दी चेतावनी
मंत्री संजय शिरसाट (शिंदे गुट) ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा—
“हमारा विभाग समाज के वंचित वर्ग को मुख्यधारा में लाने के लिए है। अगर सरकार ने इसमें कटौती कर दी तो इनका भविष्य क्या होगा? यह संविधान के खिलाफ है! अगर यही हाल रहा तो जनता में आक्रोश फैलेगा।”
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही बजट में संशोधन नहीं हुआ, तो जनता सड़कों पर उतर सकती है।
महायुति सरकार में दरार?
इस बजट के बाद महायुति सरकार (BJP + शिंदे गुट + अजीत पवार गुट) के अंदर खींचतान बढ़ गई है।
- अजीत पवार गुट के मंत्री खुश हैं क्योंकि उन्हें भरपूर बजट मिला।
- शिंदे गुट के मंत्रियों के विभागों में भारी कटौती हुई है।
अब सवाल उठ रहा है कि क्या बजट के बहाने सरकार को कमजोर किया जा रहा है?
लाडली बहन योजना पर सवाल क्यों?
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ‘लाडली बहन योजना’ को महिलाओं के लिए ऐतिहासिक फैसला बताया जा रहा है।
लेकिन इस योजना का फंड जुटाने के लिए अन्य विभागों की फंडिंग में कटौती की गई, जिससे सामाजिक न्याय और आदिवासी विभाग बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
इसी वजह से महायुति सरकार के भीतर नाराजगी और तनाव बढ़ता जा रहा है।
जनता की क्या राय है?
इस मुद्दे को लेकर जनता दो हिस्सों में बंट गई है—
- कुछ लोग कह रहे हैं कि ‘लाडली बहन योजना’ महिलाओं के लिए जरूरी है।
- कुछ लोगों का मानना है कि इसका बोझ अन्य विभागों पर डालना गलत है।
आपका क्या कहना है?
- क्या यह बजट सही है या सरकार ने एक वर्ग के हक को छीनकर दूसरे को दिया है?
- क्या सरकार को सामाजिक न्याय और आदिवासी विभाग के लिए बजट बढ़ाना चाहिए?
- क्या यह मुद्दा सरकार के लिए संकट खड़ा कर सकता है?
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