उदयपुर गर्मी की दस्तक से पहले उदयपुर जिले के लाखों उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है।
उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा ने विधानसभा में क्षेत्र के बिजली संकट को लेकर गंभीर मुद्दा उठाया, खासतौर पर 440 केवी जीएसएस (ग्रिड सब स्टेशन) उदयपुर से संबंधित कार्य की प्रगति और संभावित बिजली कटौती को लेकर सरकार से जवाब मांगा।
गर्मियों में 50 मेगावाट की संभावित बिजली कटौती, विधायक हुए चिंतित
विधायक मीणा ने स्पष्ट रूप से बताया कि अगले दो वर्षों के दौरान 440 केवी जीएसएस योजना पूर्ण नहीं होती है, तो गर्मियों के मौसम में 50 मेगावाट की बिजली कटौती हो सकती है।
ऐसे में क्षेत्र में बिजली की भारी किल्लत होने की आशंका है, जो घरेलू, कृषि और औद्योगिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना की मंजूरी पहले दी जा चुकी थी, लेकिन उसके क्रियान्वयन में लापरवाही बरती गई।
सरकार ने दिया भरोसा: अब नहीं होगी देरी, जारी हुआ कार्यादेश
राज्य सरकार की ओर से जवाब देते हुए बताया गया कि
पूर्ववर्ती सरकार द्वारा आर.टी.एम. (रिलायबल ट्रैफिक मैकेनिज्म) के माध्यम से योजना को निष्पादित करने की अनुमति नहीं दी गई थी, जिस कारण इसमें देरी हुई।
लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने इस दिशा में सक्रिय पहल करते हुए
29 नवंबर 2024 को योजना को स्वीकृति दी, और
19 मार्च 2025 को कार्यादेश (वर्क ऑर्डर) जारी कर दिया गया है।
अस्थाई राहत के लिए वैकल्पिक सब-स्टेशन तैयार
सरकार की ओर से बताया गया कि
अस्थायी समाधान के तौर पर मावली और दरिबा में स्थित 132 केवी जीएसएस को शीघ्रता से पूर्ण कराकर उदयपुर क्षेत्र को बिजली संकट से राहत दिलाई जाएगी।
इन सब-स्टेशनों के सक्रिय हो जाने से उदयपुर शहर और ग्रामीण इलाकों में बिजली का लोड कम होगा और कटौती की समस्या से बचा जा सकेगा।
झामर कोटड़ा और पारोला 33 केवी जीएसएस: 2010 से लंबित योजना को फिर से मिली जान
सिर्फ 440 केवी जीएसएस ही नहीं, बल्कि झामर कोटड़ा और पारोला के 33 केवी ग्रेड स्टेशन भी चर्चा में आए।
विधायक मीणा ने जानकारी दी कि यह योजना साल 2010 में स्वीकृत की गई थी और उस समय कार्य शुरू भी हुआ, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने इसे अधूरा छोड़ दिया।
अब वर्तमान सरकार ने इस योजना को फिर से चालू करवाने का आदेश दे दिया है।
यह निर्णय खासतौर पर जनजातीय और पिछड़े क्षेत्रों के लिए बिजली की पहुंच को सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगा।
बिजली के साथ योजनाएं भी जरूरी: सरकार की ‘स्मार्ट ग्रिड योजना’ और फाइनेंस विकल्प
आज के डिजिटल युग में केवल बिजली पहुंचाना ही नहीं, बल्कि स्मार्ट और स्थायी बिजली व्यवस्था भी उतनी ही जरूरी है।
राज्य सरकार अब स्मार्ट ग्रिड योजना, सौर ऊर्जा समाधान और ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं पर भी काम कर रही है।
इससे जुड़े लोगों के लिए सरकारी लोन, इंफ्रास्ट्रक्चर बीमा, और ऊर्जा क्षेत्र में सब्सिडी योजनाएं भी लागू की जा रही हैं, जिनकी जानकारी स्थानीय स्तर पर दी जाएगी।
यह योजना खासकर उद्योगपतियों, स्टार्टअप्स, और MSMEs के लिए एक सुनहरा अवसर है, जिससे वे अपनी इकाइयों को बिजली कटौती से बचाकर लगातार उत्पादन सुनिश्चित कर सकें।
विकास के लिए बिजली प्राथमिक आवश्यकता
बिजली आज किसी भी क्षेत्र के विकास की रीढ़ है –
चाहे वो शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, या उद्योग हो।
उदयपुर जैसे पर्यटक स्थल को बिजली आपूर्ति की समस्या से जूझते देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
लेकिन अब उम्मीद है कि नई कार्य योजनाओं के चलते स्थिति में शीघ्र सुधार होगा।
निष्कर्ष: गर्मियों से पहले सरकार की तत्परता राहत का संकेत
विधायक फूलसिंह मीणा द्वारा विधानसभा में यह मुद्दा उठाया जाना न सिर्फ जनहित में सराहनीय है, बल्कि इससे यह भी साबित होता है कि सरकार अब क्षेत्रीय समस्याओं पर गंभीरता से काम कर रही है।
440 केवी जीएसएस, मावली-दरिबा 132 जीएसएस, और झामर कोटड़ा-पारोला 33 केवी ग्रेड स्टेशन – ये सभी योजनाएं अब पुनः गति पकड़ चुकी हैं और गर्मियों से पहले बिजली संकट से बड़ी राहत मिलने की संभावना है।